Friday, May 7, 2010


पाकिस्तानी आतंकवादी कसाव को फाँसी की सजा मिलने के पहले से ही भारतीय मीडिया में जिस तरह से फाँसी-फाँसी का शोर शुरू हो गया, वह ठीक नहीं है। बेशक उसे फाँसी मिलनी चाहिए, और जल्द से जल्द मिलनी चाहिए , पर दो-तीन चैनलों ने जिस तरह से फाँसी का फंदा दो रोज़ पहले से स्क्रीन पर लटका दिया , वह अभद्र है। कम से अदालत को सजा सुनाने का मौका तो दीजिए। 

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